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सरकार टमाटर की तरह नही बढ़ने देगी प्याज के दाम

सरकार टमाटर की तरह नही बढ़ने देगी प्याज के दाम

आजकल टमाटर और अदरक के भाव बढ़ने से लोगों को लगता है, कि प्याज की कीमतों में भी इजाफा होगा। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने रविवार को बताया है, कि सरकार ने 3 लाख टन प्याज खरीदा है, जो पिछले साल के बफर स्टॉक से 20 प्रतिशत ज्यादा है। 

प्याज की लाइफ बढ़ाने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के साथ प्याज पर रेडिएशन का परीक्षण भी किया जा रहा है। गगनचुंबी टमाटर की कीमतों ने संपूर्ण भारत को हिलाकर रख दिया है। 

ऐसे में प्याज को लेकर अभी से तैयारी करनी चालू कर दी है, जिससे आने वाले दिनों में प्याज की कीमतों में कोई बदलाव देखने को नहीं मिले। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने रविवार को बताया है, कि सरकार ने 3 लाख टन प्याज खरीदी है, जो कि विगत वर्ष के बफर स्टॉक से 20 प्रतिशत ज्यादा है। 

साथ ही, प्याज की निजी जिंदगी बढ़ाने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के साथ प्याज पर रेडिएशन का परीक्षण भी किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार ने बफर स्टॉक के रूप में 2.51 लाख टन प्याज रखा था।

प्याज का 3 लाख टन का भरपूर भंडारण

अगर कम आपूर्ति वाले मौसम में कीमतें बेहद बढ़ जाती हैं, तो किसी भी आपात परिस्थिति को पूरा करने के लिए प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड (पीएसएफ) के अंतर्गत बफर स्टॉक तैयार किया जाता है। 

रोहित सिंह का कहना है, कि त्योहारों के मौसम में किसी भी हालात से जूझने के लिए, सरकार ने इस वर्ष 3 लाख टन तक का मजबूत भंडारण विकसित किया है। प्याज को लेकर कोई परेशानी नहीं है। भरपूर भंडारण हेतु जो प्याज खरीदा गया है, वह वर्तमान में समाप्त हुए रबी सीजन का है। 

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खरीफ सीजन में प्याज की बुवाई

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि भारत के विभिन्न इलाकों में प्याज की बुवाई शुरू हो चुकी है। जिसकी फसल की आवक अक्टूबर माह में आनी चालू हो जाएगी। 

वर्तमान दौर में प्याज की खरीद हाल ही में निकले रबी सीजन से की जा रही है। वर्तमान में खरीफ प्याज की बिजाई चल रही है। बतादें, कि अक्टूबर में इसकी आवक चालू हो जाएगी। 

सचिव ने बताया है, कि सामान्य तौर पर खुदरा बाजारों में प्याज का भाव 20 दिनों अथवा उसके समीपवर्ती दबाव में रहती हैं। जब तक कि ताजा खरीफ फसल बाजार में नहीं आ जाती। परंतु, इस बार कोई दिक्कत नहीं होगी।

इस तरह बढ़ जाएगी प्याज की जीवनावधि

परमाणु ऊर्जा विभाग एवं भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के साथ मिलकर उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस मध्य प्याज भंडारण के लिए एक तकनीक का परीक्षण कर रहा है। 

रोहित सिंह ने बताया है, कि पायलट बेस पर हम महाराष्ट्र के लासलगांव में कोबाल्ट-60 से गामा रेडिएशन के साथ 150 टन प्याज पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे प्याज की जीवनावधि बढ़ जाएगी। 

2022-23 में सरकार ने पीएसएफ के अंतर्गत रबी-2022 फसल से रिकॉर्ड 2.51 लाख मीट्रिक टन प्याज की खरीद की थी। वहीं, इसे सितंबर 2022 और जनवरी 2023 के दौरान प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों में जारी किया था। 

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भारत में सबसे सस्ता प्याज मिलता है

भारत का 65 प्रतिशत प्याज उत्पादन अप्रैल-जून के दौरान काटी गई रबी प्याज से होता है। यह अक्टूबर-नवंबर में खरीफ फसल की कटाई होने तक उपभोक्ताओं की मांग को पूर्ण करता है। 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 15 जुलाई को देश में सबसे सस्ता प्याज 10 रुपये प्रति किलोग्राम के साथ नीमच में मिल रहा था। साथ ही, नगालैंड के शेमेटर शहर में सबसे मंहगा प्याज 65 रुपये किलो पर मिल रहा है। भारत में प्याज का औसत भाव 26.79 रुपये प्रति किलोग्राम देखने को मिला था।

मुंबई में आज भी टमाटर की कीमतें सातवें आसमान पर हैं

मुंबई में आज भी टमाटर की कीमतें सातवें आसमान पर हैं

मुंबई में जून में, टमाटर की कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम के रेगुलर भाव से तकरीबन दोगुनी होकर 13 जून को 50-60 रुपये हो गईं। जून के समापन तक 100 रुपये को पार कर गईं।

मुंबई में टमाटर की कीमतें

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कंज्यूमर अफेयर के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में टमाटर के मैक्सीमम प्राइस 200 रुपये से नीचे आ गए थे। साथ ही, बात यदि मुंबई की करें तो विभाग के मुताबिक टमाटर का खुदरा भाव 160 रुपये प्रति किलोग्राम था। परंतु, वीकेंड पर टमाटर के रिटेल भावों के सारे रिकॉर्ड तोड़ने की खबरें सामने आ रही हैं। जी हां, मुंबई में टमाटर का भाव 200 रुपये प्रति को पार करते हुए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। कीमतों में बढ़ोतरी के कारण खरीदारों की संख्या पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला है। यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ चुकी है, जिससे ग्राहकों की कमी की वजह से कुछ इलाकों में टमाटर की दुकानें बंद करनी पड़ीं।

टमाटर की कीमत विगत सात हफ्ते में 7 गुना तक बढ़ी है

मूसलाधार बारिश की वजह से कुल फसल की कमी एवं बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त होने की वजह से बहुत सारी जरूरी सब्जियों के अतिरिक्त टमाटर की कीमतें जून से लगातार बढ़ रही हैं। जून में, टमाटर की कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम के रेगुलर भाव से तकरीबन दोगुनी होकर 13 जून को 50-60 रुपये हो गईं। जून के आखिर तक 100 रुपये को पार कर गईं। 3 जुलाई को इसने 160 रुपये का एक नया रिकॉर्ड बनाया, सब्जी विक्रेताओं ने भविष्यवाणी की कि रसोई का प्रमुख उत्पाद अंतिम जुलाई तक 200 रुपये की बाधा को तोड़ देगा, जो उसने किया है। ये भी पढ़े: सरकार अब 70 रुपए किलो बेचेगी टमाटर

किस वजह से टमाटर के भाव में आया उछाल

टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एपीएमसी वाशी के डायरेक्टर शंकर पिंगले के मुताबिक टमाटर का थोक भाव 80 रुपये से 100 रुपये प्रति किलोग्राम के मध्य है। हालांकि, लोनावाला लैंडस्लाइड की घटना, उसके पश्चात ट्रैफिक जाम और डायवर्जन की वजह से वाशी मार्केट में प्रॉपर सप्लाई की बाधा खड़ी हो गई, जिसकी वजह से कीमतों में अस्थायी तौर पर इजाफा देखने को मिला। डायरेक्टर ने बताया है, कि कुछ दिनों के भीतर सप्लाई पुनः आरंभ हो जाएगी।

जानें भारत में कहाँ कहाँ टमाटर 200 से ऊपर है

बतादें, कि वाशी के एक और व्यापारी सचिन शितोले ने यह खुलासा किया है, कि टमाटर 110 से 120 रुपये प्रति किलोग्राम पर विक्रय किया जा रहा है। दादर बाजार में रोहित केसरवानी नाम के एक सब्जी विक्रेता ने कहा है, कि वहां थोक भाव 160 से 180 रुपये प्रति किलो है। अचंभित करने वाली बात यह है, कि उस मुख्य दिन पर वाशी बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाले टमाटर मौजूद नहीं थे। माटुंगा, फोर बंगलोज, अंधेरी, मलाड, परेल, घाटकोपर, भायखला, खार मार्केट, पाली मार्केट, बांद्रा और दादर मार्केट में विभिन्न विक्रेताओं ने टमाटर की कीमतें 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक बताईं। लेकिन, कुछ लोग 180 रुपये किलो बेच रहे थे।

बहुत सारे विक्रेताओं ने बंद की अपनी दुकान

रविवार को ग्राहकों की कमी के चलते फोर बंगलों और अंधेरी स्टेशन इलाके में टमाटर की दोनों दुकानें बिल्कुल बंद रहीं। टमाटर विक्रेताओं का कहना है, कि जब टमाटर की कीमतें गिरेंगी तब ही वो दुकान खोलेंगे। वैसे कुछ विक्रेताओं ने यह कहा है, कि त्योहारी सीजन जैसे कि रक्षाबंधन अथवा फिर जन्माष्टमी के दौरान दुकान खोलेंगे। बाकी और भी बहुत सारे दूसरे सब्जी दुकानदारों ने अपने भंडार को कम करने अथवा इसे प्रति दिन मात्र 3 किलोग्राम तक सीमित करने जैसे कदम उठाए गए हैं। विक्रेताओं में से एक ने हताशा व्यक्त की क्योंकि ज्यादातर ग्राहक सिर्फ और सिर्फ कीमतों के बारे में पूछ रहे हैं और बिना कुछ खरीदे वापिस लौट रहे हैं।

इन तकनीकों से उत्पादन कर किसान कमा रहे हैं मोटा मुनाफा

इन तकनीकों से उत्पादन कर किसान कमा रहे हैं मोटा मुनाफा

पारंपरिक खेती करके किसान भाई केवल किसानों की आजीविका ही चलती थी। लेकिन, खेती की आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके किसानों की आमदनी काफी बढ़ती जा रही है। यह तकनीकें कृषकों का धन, समय और परिश्रम सब बचाती हैं। इसलिए किसानों को फिलहाल आधुनिक एवं उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करके उत्पादन करने की बेहद आवश्यकता है। आधुनिकता के वक्त में हमारी खेती भी अग्रिम होती जा रही है। क्योंकि विज्ञान द्वारा इतनी प्रगति कर ली गई है, कि फिलहाल नवीन तकनीकों से संसाधनों की बचत के साथ-साथ लाभ अर्जित करना भी सुगम हो गया है। इस कार्य में नवीन मशीनें एवं तकनीकें किसानों की हेल्पिंग हैंड की भूमिका अदा कर रही हैं।

ड्रिप सिंचाई तकनीक से करें उत्पादन

संपूर्ण विश्व जल की कमी से लड़ रहा है, इस वजह से किसानों को
सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों की तरफ प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस तरीके की तकनीकें जो कम सिंचाई में भरपूर पैदावार मिलती है। सूक्ष्म सिंचाई में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर तकनीक शम्मिलित हैं। इन तकनीकों द्वारा सीधे फसल की जड़ों तक जल पहुंचता है। ड्रिप सिंचाई से 60 प्रतिशत जल की खपत कम होती है। फसल की पैदावार में भी काफी वृद्धि देखी जाती है।

वर्टिकल फार्मिंग के माध्यम से खेती करें

संपूर्ण विश्व में खेती का रकबा कम होता जा रहा है। ऐसी स्थिति में बढ़ती जनसंख्या की खाद्य-आपूर्ति करना कठिन होता जा रहा है। यही कारण है, कि विश्वभर में वर्टिकल फार्मिंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्टिकल फार्मिंग को खड़ी खेती भी कहा जाता है, जिसमें खेत की आवश्यकता नहीं, बल्कि घर की दीवार पर भी फसलें उत्पादित की जा सकती हैं। यह खेती करने का सफल तरीका माना जाता है। इसके अंतर्गत न्यूनतम भूमि में भी अधिक पौधे लगाए जा सकते हैं। इससे पैदावार भी ज्यादा होती है। यह भी पढ़ें: कम जमीन हो तो इजराईली तकनीक से करें खेती, होगी मोटी कमाई

शेड नेट फार्मिंग के जरिए करें खेती

जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले दुष्परिणामों से खेती-किसानी में हानि होती जा रही है। बेमौसम बारिश,ओलावृष्टि, आंधी, सूखा और कीट-रोगों के संक्रमण से फसलों में काफी हद तक हानि हो रही है, जिसको कम करने हेतु किसानों को शेडनेट फार्मिंग से जोड़ा जा रहा है। पर्यावरण में होने वाले परिवर्तन का प्रभाव फसलों पर ना पड़े, इस वजह से ग्रीनहाउस, लो टनल, पॉलीहाउस जैसे संरक्षित ढांचे स्थापित किए जा रहे हैं। इनमें गैर मौसमिक बागवानी फसलें भी वक्त से पहले उत्पादित हो जाती हैं।

हाइड्रोपोनिक तकनीक के माध्यम से खेती करें

हाइड्रोपॉनिक तकनीक के अंतर्गत संपूर्ण कृषि जल पर ही निर्भर रहती है। इसमें मृदा का कोई कार्य नहीं है। आजकल विभिन्न विकसित देश हाइड्रोपॉनिक तकनीक से बागवानी यानी सब्जी-फलों का उत्पादन कर रहे हैं। भारत में भी शहरों में गार्डनिंग हेतु यह तकनीक काफी प्रसिद्ध हो रही है। इस तकनीक के माध्यम से खेत तैयार करने का कोई झंझट नहीं रहता है। एक पाइपनुमा ढांचे में पौधे स्थापित किए जाते हैं, जो पानी और पोषक तत्वों से बढ़ते हैं एवं स्वस्थ उत्पादन देते हैं।

ग्राफ्टिंग तकनीक के माध्यम से खेती करें

आजकल बीज समेत पौधे उगाने में बेहद वक्त लग जाता है, इस वजह से किसानों ने ग्राफ्टिड पौधों से खेती शुरू कर दी है। ग्राफ्टिंग तकनीक के अंतर्गत पौधे के तने द्वारा नवीन पौधा तैयार कर दिया जाता है। बीज से पौधा तैयार होने में काफी ज्यादा समय लगता है। ग्राफ्टिड पौधे कुछ ही दिनों के अंदर सब्जी, फल, फूल उत्पादित होकर तैयार हो जाते हैं। आईसीएआर-वाराणसी द्वारा ग्राफ्टिंग तकनीक द्वारा ऐसा पौधा विकसित किया है, जिस पर एक साथ आलू, बैंगन और टमाटर उगते हैं।
सोनालीका ने बिक्री के मामले में जुलाई'23 में 14% घरेलु वृद्धि के साथ उद्योग की वृद्धि (अनुमानित 6.4%) को पछाड़ा

सोनालीका ने बिक्री के मामले में जुलाई'23 में 14% घरेलु वृद्धि के साथ उद्योग की वृद्धि (अनुमानित 6.4%) को पछाड़ा

सोनालीका ने नई रिकॉर्ड उपलब्धि के साथ, सोनालीका ट्रैक्टर्स ने वित्त वर्ष 24 में केवल 4 महीनों के अंतराल में (अप्रैल-जुलाई'23) 50,000 ट्रैक्टर बिक्री का आंकड़ा भी पार कर लिया है। भारत से नंबर 1 ट्रैक्टर एक्सपोर्ट ब्रांड, सोनालीका ट्रैक्टर्स लगातार अपने हैवी ड्यूटी ट्रैक्टरों के साथ सभी किसानों के लिए प्रगतिशील भविष्य आश्वस्त करते हुए वित्तीय वर्ष 2023-24 में लगातार आगे बढ़ रहा है। कंपनी ने जुलाई'23 में 10,683 ट्रैक्टरों की कुल बिक्री दर्ज की है, जिसमें 14% घरेलू वृद्धि शामिल है और जिससे कंपनी ने उद्योग की वृद्धि (अनुमानित 6.4%) को पीछे छोड़ दिया है। इस बेहतरीन प्रदर्शन ने स्पष्ट किया है, कि भारतीय कृषि बाजार में सोनालीका का इनोवेशन संचालित दृष्टिकोण स्थाई किसान विकास की दिशा में सही रास्ते पर है। इसके साथ, सोनालीका ने वित्तीय वर्ष'24 के 4 महीनों के अंतराल (अप्रैल-जुलाई'23) में 50,000 ट्रैक्टर बिक्री का आंकड़ा भी पार कर लिया है।

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सोनालिका ने वित्त वर्ष’23 के 8 माह में 1 लाख ट्रैक्टर बेचे और 11.2% YTD वृद्धि के साथ उद्योग की वृद्धि (8.8% अनुमानित) को पीछे छोड़ नया रिकॉर्ड बना कीर्तिमान स्थापित किया है। भारत में छोटे और सीमांत किसान लगभग 86% हैं, जिनके पास आम तौर पर सीमित भूमि और संसाधन के साथ-साथ कृषि मशीनीकरण के लिए जागरूकता काफी कम है। इसके कारण, भारतीय कृषि में कुल मशीनीकरण 47% है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका (95%), ब्राजील (75%) और चीन (59.5%) जैसे देशों की तुलना में बहुत कम है। सोनालीका ट्रैक्टर्स कृषि मशीनीकरण को अपनाने के लिए पूरे किसान समुदाय का सहयोग कर रहा है। साथ ही, 20-120 HP में सबसे व्यापक, हैवी ड्यूटी ट्रैक्टर रेंज पेश करता है। तकनीकी रूप से उन्नत इन ट्रैक्टरों द्वारा किसानों को सभी कृषि परिस्थितियों में उत्तम प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है। ट्रैक्टर खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए कंपनी पहले से ही आधिकारिक वेबसाइट पर अपने संपूर्ण ट्रैक्टर रेंज की कीमतें प्रदर्शित कर रही है। इस पहल ने न केवल किसानों के जीवन को सुगम बनाया है, बल्कि ब्रांड में उनका विश्वास भी बढ़ाया है।

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सोनालिका ट्रैक्टर्स ने 43.5% की घरेलू वृद्धि दर्ज की नई उपलब्धि पर अपने विचार साझा करते हुए, श्री रमन मित्तल, जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर, इंटरनेशनल ट्रैक्टर्स लिमिटेड, ने कहा, “हमारे हैवी ड्यूटी ट्रैक्टर रेंज के लिए किसानों का समर्थन पाकर हमें खुशी है, जिसने हमें जुलाई'23 में 10,683 कुल ट्रैक्टर बिक्री रिकॉर्ड करने में सक्षम बनाया। 14% घरेलू वृद्धि के साथ, हमने उद्योग की वृद्धि (अनुमानित 6.4%) को पीछे छोड़ दिया है और केवल 4 महीनों के अंतराल (अप्रैल-जुलाई'23) में 50,000 ट्रैक्टर बिक्री का आंकड़ा पार कर लिया है। अपने ब्रांड के लिए ऐसा प्यार पाना हमें हर बार 'सर्वश्रेष्ठ से बेहतर करने' और भारतीय किसानों की क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार उन्नत कृषि तकनीक को तेजी से अनुकूलित करने के लिए प्रेरित करता है। किसानों को खुशहाली प्रदान करना आई टी एल का मूल आधार है और यह हमारे द्वारा किए गए हर नए इनोवेशन का एक अभिन्न अंग हमेशा बना रहेगा। कृषि मशीनीकरण के प्रति जागरूकता पैदा करना और उसे अपनाने के लिए किसानों का सहयोग करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। क्योंकि इससे किसानों को समृद्धि की तरफ तीव्रता से बढ़ने में मदद मिलेगी।“
अब से नवीन उर्वरक बैगों पर होगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील

अब से नवीन उर्वरक बैगों पर होगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील

किसान भाइयों अब नवीन डिजाइन में पीएम मोदी कृषकों से रासायनिक तत्व कम करने की अपील करेंगे। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसानों से रासायनिक फसल पोषक तत्वों के उपयोग को कम करने की अपील के साथ उर्वरक बैग के लिए एक नवीन कवर डिजाइन जारी किया है। आधिकारिक और उद्योग सूत्रों ने बताया है, कि उर्वरक विभाग ने शुक्रवार को निर्माताओं को लिखे एक पत्र में उनसे नवीन डिजाइन वाले बैगों की खरीद एवं उपयोग के लिए तत्काल प्रभाव से बनती कार्यवाही करने का आदेश दिया। सूत्रों के मुताबिक, पत्र के साथ विभाग ने समस्त निर्माताओं के साथ नवीन डिजाइन को साझा किया है। जिसको रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने आखिरी रूप देकर स्वीकृति दी है। यह भी पढ़ें: इफको (IFFCO) कंपनी द्वारा निर्मित इस जैव उर्वरक से किसान फसल की गुणवत्ता व पैदावार दोनों बढ़ा सकते हैं नवीन डिजाइन में नीचे प्रधानमंत्री का छायाचित्र और अपील मौजूद होगी। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि अपील में हिंदी भाषा में कहा गया है, कि ' मैं किसानों से अपील करता हूँ, कि वह रासायनिक उर्वरकों का कम और संतुलित उपयोग करके धरती माँ को बचाने का एक बड़ा कदम उठाऐं। अगस्त में केंद्र सरकार ने 'भारत' नामक उर्वरकों के लिए एक एकल ब्रांड एवं उर्वरक सब्सिड़ी योजना "प्रधानमंत्री भारतीय जनविज्ञान परियोजना के अंतर्गत एक राष्ट्र, एक उर्वरक को लागू करने का फैसला लिया है।

एक देश, एक उर्वरक योजना जारी की

विगत वर्ष अगस्त में केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन, वन फर्टिलाइजर’ योजना को लागू करने का फैसला लिया था। इसके तहत सभी फर्टिलाइजर भारत ब्रांड के तहत बेचे जा रहे हैं। इसके नीचे ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना’ का लोगो होता है। देशभर में अब सभी फर्टिलाइजर एक जैसी पैकिंग में बेचे जा रहे हैं। केंद्र सरकार यूरिया की मैक्सिमम रिटेल प्राइस (MRP) तय करती है। ये यूरिया की उत्पादन लागत से भी कम होती है। मतलब कि कंपनियां लागत से भी कम भाव में यूरिया किसानों को बेचती हैं। केंद्र सरकार कंपनियों को होने वाली हानि की भरपाई अनुदान देकर करती है।
एक फरवरी  2024 को पेश किया जायेगा बजट किसानों को मिल सकती है , बड़ी खुशखबरी

एक फरवरी 2024 को पेश किया जायेगा बजट किसानों को मिल सकती है , बड़ी खुशखबरी

संसद में 1 फरवरी  2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अंतरिम  बजट पेश किया जायेगा , माना जा रहा है किसानों को इस बजट से बड़ी सौगात मिल सकती है। इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव की वजह से पूर्ण बजट नयी सरकार के गठन के बाद पेश किया जायेगा। इससे पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में अंतरिम बजट 2019 में पेश किया गया था। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के  स्वास्थ्य खराब होने पर उनका अतिरिक्त कामकाज संभाले हुए पियूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था ,साथ ही 2019 के बजट में संसद द्वारा कई बड़े ऐलान भी किये गए। 

पीएम किसान योजना की बढ़ सकती है राशि 

पीएम किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा 2019 के अंतरिम बजट में की गयी थी। इस योजना के अंदर 2 हेक्टेयर तक भूमि वाले किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपए की राशि  तीन किस्तों में प्रदान की जाएगी। इस योजना में 12 करोड़ से ज्यादा छोटे और सीमान्त किसानों को सम्मिलित किया गया था। फरवरी  2024 में पेश होने वाले बजट में इस राशि को 9000 प्रति वर्ष कर दिया जायेगा। आने वाले बजट में यह उम्मीद जताई जा रही है , पी एम किसान सम्मान निधि की किस्ते बढ़ाई जा सकती है , जो किसानों के लिए किसी बड़ी खुशबरी से कम नहीं है। 

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इसी के चलते सरकार द्वारा महिला सम्मान निधि की राशि भी दुगुनी हो सकती है। साथ ही महिलाओं को लोन भी अन्य की तुलना में 1% की कम दर से प्रदान किया जायेगा। बताया जा रहा है कि महिला किसान की सम्मान निधि की राशि बढ़कर 12000 की जा सकती है। साथ ही महिलाओं किसानों को लोन प्रदान करने के लिए सरकार क्रेडिट कार्ड की भी सुविधाएं प्रदान करा सकती है। 

किसानों के लिए हेल्थ और लाइफ इंस्युरेन्स की भी कर सकते है घोषणा 

लोकसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार ने किसानों के लिए बनाई गयी किसान सम्मान निधि योजना में 50 फीसदी राशि बढ़ाने के लिए तो कहा है ,साथ ही संसद में पेश होने वाले बजट में किसानों के लिए स्वास्थ्य और लाइफ इंस्युरेन्स की भी घोषणा की जा सकती है। 

स्टीडफास्ट न्यूट्रिशन के संस्थापक अमन पूरी ने कहा भारत केवल जीडीपी का 21 स्वास्थ्य देखवाल के लिए उपयोग करता है, जो की विश्व औसत 6% से काफी कम है। हाल ही में बहुत सी नए बीमारियों की खोज की गयी है , जो बहुत ही घातक साबित हुई है , जिनके लिए धन की भी आवश्यकता है। 

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इन बीमारियों को रोकने के लिए नए ढाँचे की आवश्यकता है। ऐसे में सरकार को स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च बढ़ाने की आवश्यकता है।

10 लाख से ज्यादा वेतन वाले कर्मचारियों को मिलेगी छूट 

एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में बताया जा रहा है , जिन कर्मचारियों की आय 10 लाख से ऊपर है उन्हें कर भुगतान में राहत मिल सकती है। साथ ही इससे बहुत से बिज़नेस और स्टार्टअप को भी कर भुगतान पर  छूट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इनकम टैक्स के मामले में सरकार बड़ी खुशबरी प्रदान कर सकती है। फिलहाल चर्चा में यही है कि 10 लाख से अधिक आय वाले कर्मचारियों को टैक्स भुगतान में राहत मिल सकती है। 

कृषि  क्षेत्र के लिए सरकार कर सकती है ये फैसला 

गुरुवार को पेश किये जाने वाले बजट से लोगो को बहुत उम्मीद है। कृषि सेक्टर के लोगो को इस बजट से बहुत सी आशाएँ है। उनका मानना है 20 लाख रुपए के कृषि लोन से , उच्च लक्ष्य प्राप्त करने पर जोर दिया जाना चाहिए । इसमें किसानों को नयी मशीनरी और प्रौधोगिकी को अपनाकर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाए। उत्पादन बढ़ेगा तो किसान का तो विकास होगा ही साथ ही अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। 

फोर्स मोटर्स ने अपने कृषि ट्रैक्टर कारोबार को बंद किया

फोर्स मोटर्स ने अपने कृषि ट्रैक्टर कारोबार को बंद किया

ऑटोमोबाइल्स क्षेत्र में अग्रणी स्थान रखने वाली Force Motors अपने एग्रीकल्चर ट्रैक्टर और इससे जुड़े कारोबार को बंद करने की घोषणा कर दी है। कंपनी ने 31 मार्च (रविवार) को ट्रैक्टर कारोबार को पूर्ण रूप से बंद कर दिया है। 

कंपनी का कहना है, कि वो सोची-समझी रणनीति के अंतर्गत ट्रैक्टर और इससे जुड़े कारोबार को बंद कर रही है। इसके बाद कंपनी अपने कोर सेगमेंट के कारोबार पर ज्यादा जोर देगी।

फ़ोर्स मोटर्स का कहना है, कि प्रोडक्ट रेशनलाइजेशन प्रोग्राम के तहत केवल Share Mobility Transporation, Last Mile Mobility, गुड्स एंड ट्रांसपोर्टेशन जैसे कोर सेगमेंट पर ध्यान केंद्रित करेगी। 

ये कंपनी प्रीमियम लग्जरी OEM और सिविल और डिफेंस में इस्तेमाल होने वाले स्पेशल व्हीकल बनाने का भी कार्य करती है। परंतु, अब कंपनी अपने ट्रैक्टर कारोबार से पूर्णतय बाहर निकल रही है।

फोर्स मोटर्स का समकुल कारोबार कितना है ?

फ़ोर्स मोटर्स ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि उनकी कंपनी मल्टी-सीटर पैसेंजर वाहन और Gurkha SUV बनाने के लिए पहचानी जाती है। इसके अलावा भारत में BMW और मर्सीडीज जैसी लग्जरी कंपनियों के लिए इंजन भी बनाती है।

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व्यावसायिक वर्ष 2023 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, Force Motors की कमाई का लगभग 48% भाग वाहन की बिक्री से आता है। वहीं, 36% फीसद हिस्सा कॉन्ट्रैक्ट इंजन मैन्युफैक्चरिंग से आता है।

31 मार्च 2024 तक ट्रैक्टर बिक्री से इस कंपनी की कुल आय ₹182.53 करोड़ रही, जोकि कंपनी की कुल आय में करीब 3.6% ही है। ट्रैक्टर कारोबार से जुड़े कुल एसेट्स की कीमत तकरीबन ₹12.29 करोड़ है। 

ट्रैक्टर बिक्री आंकड़ों पर दबाव की वजह क्या है ? 

फोर्स मोटर्स की तरफ से ट्रैक्टर कारोबार बंद करने का यह निर्णय एक ऐसे वक्त पर आया है। जब ट्रैक्टर बिक्री के आंकड़ों पर दबाव देखने को मिल रहा है। 

भारत की सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी Mahinda & Mahindra ने पिछले माह ही कारोबारी साल 2024 में घरेलू बाजार में ट्रैक्टर के बिक्री अनुमान में कटौती की थी। 

कंपनी ने इसके पीछे वजह बताते हुए कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में फिलहाल कमजोरी की वजह से ट्रैक्टर बिक्री आंकड़ों पर दबाव देखने को मिल रहा है।